Monday, 3 February 2014

कानूनी पहलू: क्या आपने वसीयत बनाई?



अगर आप इंश्योरेंस से लेकर प्रॉपर्टी तक अपने सभी इन्वेस्टमेंट्स के लिए नॉमिनी अपॉइंट करना चाहते हैं और सोच रहे हैं कि यह वसीयत तैयार करने जैसा ही है, तो आप गलत हो सकते हैं।   जानिए कुछ कानूनी पहलू.

मुंबई के नलिन शाह को हाल ही में इसका तब पता चला, जब वह अपने वकील के पास वसीयत तैयार कराने पहुंचे। 2010 में उन्होंने पत्नी को एक इंश्योरेंस पॉलिसी में नॉमिनी बनाया था, लेकिन वकील ने उन्हें बताया कि उनकी पत्नी को इससे सम इंश्योर्ड नहीं मिलेगा और इसके हकदार उनके कानूनी वारिस होंगे। 

जानकारों का कहना है कि नॉमिनी केवल ट्रस्टी होता है, जिसे एसेट्स को वसीयत में बताए गए कानूनी वारिसों या उत्तराधिकार के कानूनों के मुताबिक बांटना होता है। ऐसे में केवल सिर्फ नॉमिनेशन से नहीं चलेगा काम, वसीयत बनाएं.. 

हालांकि, कंपनी शेयर्स जैसे कुछ इन्वेस्टमेंट्स में संबंधित कानूनों के प्रोविजंस उत्तराधिकार कानूनों से अलग होते हैं। अलग-अलग हालात में कानूनी स्थिति इस तरह होती है। आगे क्लिक करके जानें, इंश्योरेंस, एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड आदि पर क्या कहना चाहता है कानून...

इंश्योरेंस 

इंश्योरेंस एक्ट, 1939 के सेक्शन 39 के मुताबिक, इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी में बताए गए नॉमिनी को रकम सौंपनी चाहिए।

नॉमिनी से उम्मीद की जाती है कि वह इसे कानूनी वारिसों में बांटेगा, जो पॉलिसीहोल्डर की वसीयत में बताए गए हैं। वसीयत न होने पर उत्तराधिकार कानून लागू होंगे।

कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में प्रॉपर्टी

इंश्योरेंस की रकम की तरह ही, किसी हाउसिंग सोसाइटी में प्रॉपर्टी का नॉमिनी खुद इसका वारिस नहीं बन जाता। 

मालिक की मृत्यु होने पर हाउसिंग सोसाइटी को मृतक के शेयर्स नॉमिनी को ट्रांसफर करने होते हैं, जो इन्हें कानूनी वारिसों को ट्रांसफर करता है। 

एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड

ईपीएफ के मामले में हालात अलग हैं। इसमें रकम नॉमिनी के पास जाती है, वसीयत में बताए गए शख्स के पास नहीं। रूल्स के मुताबिक, आप अपने ईपीएफ खाते में परिवार के सदस्य के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को नॉमिनेट नहीं कर सकते, जब तक कि आपका परिवार न हो। परिवार होने पर आपको अपना नॉमिनेशन इसके किसी सदस्य के पक्ष में बदलना होता है। 

आप परिवार के एक से ज्यादा सदस्यों को भी नॉमिनेट कर ईपीएफ की रकम उनके बीच बांटने का अनुपात बता सकते हैं। इसके लिए एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड स्कीम, 1952 के सेक्शन 61 को देखें।

बैंक एकाउंट, म्यूचुअल फंड और अन्य इन्वेस्टमेंट्स 

बैंक एकाउंट, म्यूचुअल फंड और अन्य इन्वेस्टमेंट्स के मामले में भी नॉमिनी अपने आप इनके बेनेफिशयरीज नहीं बन जाते। 

आरबीआई की गाइडलाइंस में यह बात साफ की गई है। 

कंपनी शेयर्स

कंपनीज एक्ट के सेक्शन 109ए के मुताबिक, नॉमिनी मूल शेयरहोल्डर की मृत्यु के बाद शेयर्स का कानूनी तौर पर वारिस होता है। 

अगर शेयरहोल्डर ने किसी अन्य व्यक्ति को अपनी वसीयत में हकदार बनाया है, तो भी नॉमिनी ही शेयर्स का मालिक होगा।

नॉमिनेट क्यों करें?

अपनी मृत्यु के बाद एसेट का हकदार बनाने के लिए आपके किसी व्यक्ति को जरूर नॉमिनेट करना चाहिए। इसके साथ ही आपके पास वसीयत भी होनी चाहिए, जिससे एसेट्स आपकी इच्छा के अनुसार बांटे जा सकें।

सिटीजंस एडवाइस ब्यूरो इण्डिया द्वारा जनहित में जारी 

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